नई कार या बाइक खरीद रहे हैं? 3 या 5 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अब अनिवार्य, जानें कितना पड़ेगा खर्च और कैसे करें शिकायत!

इंश्योरेंस सेक्टर में IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने नए नियम लागू किए हैं। अब नई कार या बाइक खरीदते समय 3 साल (फोर-व्हीलर) या 5 साल (टू-व्हीलर) का Third-Party Insurance लेना अनिवार्य है। इससे वाहन मालिकों को शुरुआत में ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे, लेकिन लंबे समय में यह फायदेमंद होगा। अगर कोई एजेंट गलत जानकारी देकर पॉलिसी बेचे या एक्स्ट्रा पैसे ले, तो आप IRDAI में शिकायत कर सकते हैं। आइए समझते हैं:

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Third-Party Insurance क्या है?

  • Third-Party Insurance में:
    • वाहन मालिक First Party होता है।
    • बीमा कंपनी Second Party होती है।
    • Third Party वह व्यक्ति या संपत्ति है, जिसे वाहन मालिक के कारण नुकसान होता है।
  • यह पॉलिसी सिर्फ तीसरे व्यक्ति/संपत्ति के नुकसान को कवर करती है।
  • ⚠️ ध्यान रखें:
    • इसमें आपकी गाड़ी या खुद आपको हुए नुकसान का कवर नहीं मिलता।
    • अगर आप शराब/ड्रग्स के नशे में गाड़ी चलाते हैं या बिना लाइसेंस ड्राइव करते हैं, तो क्लेम नहीं मिलेगा।

कार और बाइक के लिए Premium कितना?

1. कार (Four-Wheeler):

  • 100cc Engine Capacity तक: ₹5,286
  • 1000cc से 1500cc Engine Capacity₹9,534
  • 1500cc से अधिक₹24,305

2. बाइक (Two-Wheeler):

  • 75cc तक₹1,045
  • 75cc से 150cc₹3,285
  • 150cc से 350cc₹13,034
  • नियम: फोर-व्हीलर के लिए 3 साल, बाइक के लिए 5 साल का इंश्योरेंस अनिवार्य है।

Third-Party Insurance क्यों जरूरी है?

  • Motor Vehicle Act के अनुसार यह कानूनी जरूरत है।
  • अब आपको हर साल पॉलिसी रिन्यू कराने की जरूरत नहीं।
  • Premium Rates स्थिर रहेंगे, बार-बार नहीं बदलेंगे।

शिकायत कैसे करें?

  1. पहले अपनी इंश्योरेंस कंपनी के Grievance Redressal Officer से संपर्क करें।
  2. अगर समस्या हल न हो, तो IRDAI के टोल-फ्री नंबर 155255 पर कॉल करें।
  3. ईमेल: complaints@irdai.gov.in पर डॉक्युमेंट्स के साथ शिकायत भेजें।
  4. आखिरी विकल्प: Insurance Ombudsman के पास शिकायत दर्ज कराएं।

सरल भाषा में समझें:

  • Third-Party Insurance = दूसरों के नुकसान का बीमा।
  • Premium = बीमा के लिए दिया जाने वाला पैसा।
  • कवर = सुरक्षा।
  • क्लेम = नुकसान की भरपाई की मांग।

इन नियमों से भविष्य में आपकी जेब पर कम बोझ पड़ेगा और सुरक्षा बढ़ेगी। अगर कोई गड़बड़ी हो, तो IRDAI की मदद लेने में न झिझकें

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